कितने अलग है हम

एक दूजे से कितने अलग है हम
एक धागे के दो छोर की तरह
आपस से कितने दूर हैं हम
बिल्कुल आसमां और ज़मीन की तरह
कैसे होगा मिलन, तू ही बता
एक है धारा, तो दूसरा किसी साहिल की तरह
तेरे मेरे दरमियान
मीलों का फासला
जैसे तुम हो पूरब
तो मैं पश्चिम दिशा की तरह
कोई मिलने की राह हो तो तू ही बता
मै हूं सूखा रेगिस्तान
तो तुम हो समन्दर भरा
तुम्हें बारिश की बूंदों में इश्क की महक आती है
मेरे लिए महज शीतल पानी की तरह
तुम ही बोलो
क्या कोई मेल है
दो अलग अलग रास्तों का।।

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कितना मुश्किल होता है।

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