हमे में से ना जाने कितने ही लोग अपने ही बारे में ये सवाल करते होंगे, मैं ऐसी/ऐसा क्यों हूं?
अपने आप को कभी तो बहुत अच्छा महसूस करते होंगे, कभी लगता होगा ' यार! मैं कितनी बुरी/ बुरा हूं। और ना जाने कितने तरीके के सवाल करते होंगे।
मुझे भी बहुत बार अपने ही बारे में बहुत से सवाल होते हैं।
कभी कभी जो सवाल मैं खुद से करती हूं, वो कुछ ऐसा है.....
मैं ऐसी क्यों हूं
मैं अच्छी हूं मैं बुरी हूं ,
ना जाने मैं कैसी हूं,
पर मैं ऐसी क्यों हूं।
ऐसा लगता है
ना किसी के दर्द का एहसास ,
ना किसी कि खुशी का हिस्सा,
बहुत ही अजीब है ये किस्सा।
मुझे सब खुशी चाहिए,
सभी का साथ भी चाहिए
तो मुझे देना क्यों नहीं है,
क्यों मैं बस अपने बारे में सोचती हूं।
कितनी अजीब हूं मैं,
ना जाने कैसी हूं मैं,
बुरी हूं मैं, पर थोड़ी सी अच्छी भी तो हूं मैं,
ना जाने कैसी हूं
पर मैं ऐसी क्यों हूं?
इस तरह के सवाल घूमते फिरते आ जाया करते हैं,
पर मुझे लगता है, हमे इस तरह के सवालों में ज़्यादा उलझने से बेहतर हो कि हम, सवालों को सही करें।
और सवाल की जगह जवाब दें, मै जैसी हूं मुझे पसंद हूं।।
Very nice🤗
ReplyDeleteBhot acha ❤️
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