क्या कुछ ऐसा कह गुजरूं
जिससे तुम ना वाकिफ हो
तुम्हारी रूह तक व्याकुल हो उस सोच से
जिससे मेरा भी कुछ गहरा ताल्लुक़ हो
तुम रहो उस छोर पे
तो मैं रहूं इस छोर पे
पर जब भी भूल से मुलाकात हो
इस कदर मुखातिब हो एक दूसरे से
जैसे कोई चंद्रमा बिखेरे चांदनी को
क्या कुछ ऐसा दिखला दूं
जिससे तुम ना वाकिफ हो
तुम पल पल सोचो
उस क्षण के बारे में जिसमें ज़र्रा भर भी
कहीं तो मेरी कशिश बाकी हो
क्या कुछ कह गुजरूं
जिससे तुम ना वाकिफ हो ।।
जिससे तुम ना वाकिफ हो
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कितना मुश्किल होता है।
कितना मुश्किल होता है हंसना, जब हंसी न आए कितना मुश्किल होता है रोना, जब आंसू सूख जाए जीना भी हो और जी भी न पाएं मरना न हो फिर भी मरे सा एहस...
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राहगीरों से मुलाक़ात रुकी हुई आवाज़ों से कहती हूँ ये बात कुछ राहगीरों से हुई मुलाक़ात कुछ अपने, कुछ पराये, कुछ अपनेपन का चोला ओ...
👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you
DeleteIt's OK
Delete😊
DeleteNyc
ReplyDeleteThank you
DeleteWaah #Superb
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