राहगीरों से मुलाक़ात
रुकी हुई आवाज़ों से कहती हूँ ये बात
कुछ राहगीरों से हुई मुलाक़ात
कुछ अपने, कुछ पराये, कुछ अपनेपन का चोला ओढ़े हुए
ऐसे कुछ राहगीरों से हुई मुलाक़ात।
सब सुनते, सब कहते,
सबके अलग अंदाज़, सबके अलग अल्फ़ाज़,
समझाने के सबके अपने अपने अदब दिखे
पर पीठ-पीछे खुद उलझनों से लिपटे हुए,
शान भी है, मान भी है,
बेचैन दिल भी है और दिमाग भी है,
ऐसे ही कुछ राहगीरों से हुई मुलाक़ात।
कुछ दोस्त बने, कुछ दोस्त से ज़्यादा करीब हुए,
कोई दिमाग में आया, कोई दिल में उतरा,
पर सबके भीतर एक दूसरा इंसान कहीं छिपा हुआ
ऐसे ही कुछ राहगीरों से हुई मुलाक़ात
रुकी हुई आवाज़ों से कहती हूँ कुछ बात
कई राहगीरों से हुई मुलाक़ात।
Nyc
ReplyDeleteThank you
DeleteGood
ReplyDelete😍😍😍😍👌👌👌 Nice
ReplyDeletevery nice line
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